ANUJ KUMAR

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स्वस्थ भारत

“स्वस्थ भारत”

भारत का वैशिष्ट्य इसकी विविधता में छुपा है। जिसे धार्मिक, सांस्कृतिक एवं भाषाई स्तर पर देखा जा सकता है। भारत से तात्पर्य भारत में निवास करती उस जनता से है जिसकी संख्या लगभग 130 करोड़ है। जिसमें युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। स्वस्थ भारत का प्रश्न 130 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। जब भारत की जनता स्वस्थ होगी तभी भारत स्वस्थ होगा। स्वस्थ भारत प्रगति के पद को प्रशस्त कर निरंतर आगे बढ़ेगा। जिससे वह विश्वपटल पर स्वयं को विकसित देशों मे शामिल कर पाएगा। किन्तु यहाँ पर प्रश्न उठता है कि आखिर केसे हम एक स्वस्थ भारत का निर्माण कर सकते हैं, उनके उपाए क्या हैं ?, साथ ही सरकार की भारत को स्वस्थ बनाने में भूमिका और उसके समक्ष खड़ी चुनौतियों पर भी विचार करना होगा।

स्वस्थ शरीर के भीतर एक स्वस्थ दिमाग होता है और एक स्वस्थ दिमाग स्वस्थ विचारों का जनक होता है। स्वस्थ विचार एक स्वस्थ समाज का निर्माण करते हैं और स्वस्थ समाज एक स्वस्थ देश का। जिस समय में हम जी रहे हैं वह ज्ञान-विज्ञान का युग है। भौतिक जीवन को सरल बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने नए-नए आविष्कार किए हैं। जिससे मानव जीवन भौतिक सुख-सुविधाओं से संचालित होने लगा है। मशीनों के आविष्कार ने मानव जीवन से श्रम को गायब कर दिया है। उसके ज्यादतर काम बेठे-बेठे हो जाते हैं। शारीरिक श्रम का स्थान मानसिक श्रम ने ले लिया है। जिससे कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ी हैं। साथ ही बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों, कारखानों और सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों ने वातावरण को अशुद्ध कर दिया है। जिससे वायु प्रदूषण बहुत बढ़ गया है और मानव जीवन सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहा है। वायु प्रदूषण के साथ-साथ जल प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण ने भी मानव जीवन के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। बढ़ते प्रदूषण और तनाव के कारण स्वस्थ रहना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है। मोटापा अनेक बीमारियों की जड़ है आधुनिक जीवन जीवन शैली  ने मोटापे को जन्म दिया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 2005-2006 की तुलना में ज्यादा वजन वाले लोगों की संख्या दो गुनी हो गई है। मोटापे से दिल का दौरा, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, रक्त चाप, मधुमेह आदि बीमारियाँ हो जाती हैं। जिसका  इलाज मात्र परहेज पर टिका होता है। यह शरीर की गतिविधियों को प्रभावित कर व्यक्ति के सामाजिक व्यावहार पर भी बुरा असर डालता है।  भारत की आजादी के बाद से भारतीय सरकारों ने भारतीय जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अनेक योजनाएँ चलाईं हैं। किन्तु इन योजनाओं का लाभ देश की आम जनता की पहुँच से दूर है।  देखा जाए तो भारत की आधी आबादी गाँव में निवास करती है जो कि स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है। भारत सरकार को स्वस्थ भारत के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए। जो लोग अपनी चिकित्सा का भार उठाने में सक्षम नहीं हैं उनका मुफ्त इलाज होना चाहिए। साथ ही डॉक्टरों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। जिला स्तर  पर एक ऐसा बड़ा अस्पताल होना चाहिए जिसमें इलाज की सभी मशीनें और योग्य डॉक्टरों हों। जिससे मरीजों को रिफ़र करने की जरूरत न पड़े। भारत सरकार द्वारा चलाई गई ‘आयुष्मान भारत योजना’, जो कि भारत के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों कों स्वास्थ्य बीमा मुहैया करने की योजना है को जमीनी स्तर पर उतरना होगा। अनुमान के अनुसार इस योजना से लगभग पचास करोड़ लोगो को फायदा मिलेगा। इस योजना का बजट दो हजार करोड़ है। किन्तु जैसा कि हम जानते हैं कि योजनाएँ तो खूब चलाई जाती हैं किन्तु उनका कार्यान्वय नहीं हो पता। किसी भी देश की सरकार का यह दायित्व है कि वह देश के नागरिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा निशुल्क  मुहैया कराए।

भारत को स्वस्थ बनाने के लिए जरूरी है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण के प्रति सचेत किया जाए। विकास की आड़ में हम प्रकृति का दोहन कर रहे हैं। प्रकृति ने देना सीखा है। वह तो जीवनदायनी है। जिस प्रकार हम इसका दोहन कर रहे हैं ऐसे में आने वाली पीढ़ी का क्या भविष्य होगा ? उसके लिए हम क्या जरीली हवा छोड़कर जाएंगे। ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि जिस रूप में प्रकृति हमें मिली है ठीक उसी रूप में हम अपनी आने वाली पीढ़ी को सोंप दे। जिससे उनका जन्म एक स्वस्थ वातावरण में हो सके। हमें दस वर्ष की  मान्या हर्ष जो कि बेंगलुरु के विबग्योर बीटीएम स्कूल में 6वीं कक्षा की छात्रा है, से सीखना चाहिए कि प्रकृति प्रेम क्या होता है। उस बच्ची ने जब शहर में बढ़ते कचरे की समस्या को देखा तो उसने लोगो को जागरूक करने के लिए ब्लॉग बनाया और प्रकृति पर पाँच कितबे भी लिखीं। इंडिया बुक ऑफ रिकोर्ड्स द्वारा साल 2020 मेंउसे  रिकॉग्नाइज किया गया।

महात्मा गांधी ने भारत को स्वच्छ बनाने का सपना देखा था। उन्होंने भारत को स्वच्छ बनाने के लिए स्वयं झाड़ू उठा ली थी। और सभी भारतवासियों को भारत को स्वच्छ बनाने का संदेश दिया और मुहिम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। क्योंकि जब भारत स्वच्छ होगा तभी वह स्वस्थ भी होगा। गांधी के स्वच्छ भारत अभियान को ही आगे बढ़ाने के लिए  भारत सरकार ने 2 अक्टूबर  2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था। जिसमें देश के नागरिकों ने अपना योगदान दिया था। गंदगी अनगिनत बीमारियों की जड़ होती है। हम साफ सफाई के माध्यम से भी भारत को स्वस्थ्य बनाने में योगदान दे सकते हैं। जिसके लिए जरूरी है कि हम अपने  आस पास साफ सफाई रखें। और दूसरों को भी इस काम के लिए प्रेरित करें। जिससे हम एक स्वस्थ भारत का निर्माण कर सकें। साथ ही स्वच्छता के  अभियान को गाँव गाँव तक पहुंचाना होगा। हमें ऐसी मानसिकता को निर्मित करना होगा जो अपने घर के साथ साथ पूरे भारत को अपना घर मानें । और भारत को स्वस्थ बनाने की मुहिम  में सकारात्मक भूमिका निभा सकें। स्वस्थ भारत के लिए आवश्यक है कि हम सभी देश के एक जिम्मेदार नागरिक बनें, अपने आसपास सफाई रख कचरा मुक्त वातावरण बनाएँ और उसमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएँ। भारत जब तक स्वच्छ संबंधी आदतों को अपने जीवन में आत्मसात नहीं करेगा तब तक स्वस्थ भारत का निर्माण करना मुश्किल है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है साफ सफाई। साथ ही शरीर को स्वस्थ्य बनाने के लिए जरूरी है कसरत। भारत को तभी स्वस्थ बनाया जा सकता है जब भारत में रहना वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने शरीर का ध्यान रखे अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि मन और तन दोनों को इस्तेमाल हो। जिसके लिए योगा और कसरत जरूरी है। स्वस्थ भारत के निर्माण में सभी की सहभागिता सुनश्चित होगी तभी हम स्वस्थ भारत के सपने को साकार कर पाएंगे।  

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4 Comments

सही लिखा है कि जब भारत का हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देगा तभी भारत स्वस्थ रहेगा

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ANUJ KUMAR

20-Aug-2021 01:32 PM

शुक्रिया

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🤫

16-Aug-2021 08:37 AM

बहुत बढ़िया,स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए स्वस्थ तन और स्वस्थ मन दोनों ही नितांत आवश्यक है

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ANUJ KUMAR

17-Aug-2021 06:37 AM

आपका आभार

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